प्राइवेट स्कूलों की नई लूट,अब टूर एंड ट्रेवल्स का खेल शुरू, अभिभावकों पर बनाया जा रहा दबाव

प्राइवेट स्कूलों की नई लूट,टूर एंड ट्रेवल्स का खेल

स्टेशनरी,ड्रेस,शूज की अपार सफलता के बाद अब टूर एंड ट्रेवल्स का खेला 

हल्द्वानी,बच्चों को घुमाने के नाम पर प्राइवेट स्कूल अब अभिभावकों की जेब काटने में लगे हैं। टूर-एंड-ट्रेवल्स के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। कई जगहों पर तो स्कूल खुद ही ट्रेवल ऑपरेटर बन बैठे हैं। सवाल ये है कि एजुकेशन की आड़ में व्यापार आखिर कब तक।। 

प्राइवेट स्कूल पढ़ाई से लेकर यूनिफॉर्म और किताबों तक, हर जगह कमाई का नया तरीका ढूंढने में पीछे नहीं।अब नया तरीका स्कूल टूर एंड ट्रेवल्स का।जहां बच्चों को छोटी-सी ट्रिप के लिए अभिभावकों से हजारों रुपये वसूले जा रहे हैं।कई अभिभावकों का आरोप है कि 2–3 घंटे की छोटी पिकनिक के लिए 800 से 2500 रुपये तक की रकम बताई जाती है जबकि असल किराया मुश्किल से 200–300 रुपये बैठता है।यानी बाक़ी का पैसा सीधे स्कूल की जेब में और कोई पूछने वाला नहीं।वहीं 35-50 क्षमता वाली स्कूल बस में दुगनी संख्या में छात्र ठूंस दिए जाते हैं।

कुछ अभिभावकों का कहना है कि ट्रिप में शामिल होना अनिवार्य न सही, लेकिन बच्चों पर ऐसा मानसिक दबाव बनाया जाता है कि वो मना ही नहीं कर पाते। नतीजा मजबूर अभिभावक, और मोटा बिल।वहीं जब अभिभावक मन करते हैं तो स्कूल से उन्हें फोन घूमा दिया जाता हे कि भेजना अनिवार्य हे।

"बच्चों का कहना होता है कि पूरी क्लास जा रही है… ऐसे में हम कैसे मना करें! स्कूल मनमाने पैसे ले रहा है। ये सीधी लूट है। यही नहीं, कई स्कूल बिना रजिस्टर्ड ट्रैवल एजेंसी के खुद ही बसें किराए पर लेकर पैकेज लॉन्च कर रहे हैं जो नियमों का साफ-साफ उल्लंघन है।।

अभिभावकों की मांग है कि शिक्षा विभाग इस मामले में गाइडलाइन जारी करे—

ट्रिप की लागत सार्वजनिक हो,
टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी हो
और बच्चों पर किसी तरह का दबाव न बनाया जाए।
टूर-एंड-ट्रेवल्स की आड़ में स्कूलों की ये कमाई कब तक चलेगी?
अभिभावकों को राहत कब मिलेगी?

अब ये देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस शिकायत पर क्या कदम उठाता है।

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